शब्द विचार
सार्थक एवं निरर्थक शब्द
शब्द विचार
व्याकरण के जिस भाग में आप शब्द संरचना एवं शब्दों के प्रयोग के विषय में जानेंगें, उस भाग को शब्द विचार कहते हैं।
अब आपके मन में प्रश्न उठेगा कि ये शब्द क्या हैं?
वर्णों (स्वरों तथा व्यञ्जनों) के उस सार्थक मेल को शब्द कहेगें जिससे कोई अर्थ प्रकट होता हो।
जैसे: बालक: शब्द से बालक/बच्चे का बोध होता है।
शब्द भेद
सार्थक तथा निरर्थक शब्द
आप शब्दों को सार्थक तथा निरर्थक में वर्गीकृत कर सकते हैं।
सार्थक शब्द
वर्णों का ऐसा संयोग जिसका कोई अर्थ हो, सार्थक शब्द कहलाता है।
यथा − भोजनम्, विद्यालय: आदि।
'भोजनम्' का नाम लेते ही आप मन में रोटी तथा खाद्य वस्तुओं की कल्पना करेगें।
'विद्यालय' शब्द को देखते ही आपको अपने बैग, ड्रेस, तथा, अध्यापकों की याद आएगी।
आप देख सकते हैं कि उपरोक्त दोनों शब्दों में अपना विशिष्ट अर्थ छिपा है।
निरर्थक शब्द
निरर्थक शब्दों में वर्णों का संयोग तो होता है, परन्तु इनका कोई अर्थ नहीं होता।
जैसे: भोजनम्−ओजनम्
यहाँ 'ओजनम्' शब्द का कोई अर्थ नहीं है।
यदि हम 'विद्यालय' के वर्णों का क्रम उलट दें तो कोई अर्थ नहीं बनेगा।
य् + ल् + द्या + वि = यलद्यावि
विकारी शब्द
'विकार'…
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