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संज्ञा

ऋकारांत पुँल्लिङ्ग

संज्ञा

संसारे व्यक्ते: जातीनां, वस्तूनां, स्थानानां, भावानां च नामानि संज्ञा भवन्ति

अर्थात, किसी व्यक्ति, वस्तु स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं।

यथा -

महात्मा गाँधी

मेघा:

 

छात्र:

सौन्दर्यम्

संज्ञा के भेद

संज्ञा के तीन भेद किए गए हैं:

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा

2. जातिवाचक संज्ञा

3. भाववाचक संज्ञा

अब हम आपको ऋकारांत (पितृ, कर्तृ) पुँल्लिङ्गम् तथा इकारांत (मति, गति) स्त्रीलिङ्गम् के रुप-परिचय तथा प्रयोग के बारे में जानकारी देंगे।

सर्वप्रथम हम ऋकारांत शब्दों के बारे में जानेंगे। जैसा कि शब्द से ही पता चल रहा है

ऋ अकारांत अर्थात जिसके अन्त में '' हो वे शब्द ऋकारांत कहलाते हैं।

जैसे पितृ, कर्तृ आदि।

पितृ का पदविच्छेद प् + , त् +

अब हम इनके शब्द रुप देखेंगे।

 

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

पिता

पितरौ

पितर:

द्वितीया

पितरम्

पितरौ

पितृन्

तृतीया

पित्रा

पितृभ्याम्

पितृभि:

चतुर्थी

पित्रे

पितृभ्याम्

पितृभ्य:

प…

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