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सर्वनाम

अस्मद

इससे पहले कि आप सर्वनाम के अर्थ को जानें, हम आपको पुरुष के बारे में बताना चाहेगें। इससे आपको अनुवाद करने अथवा अर्थ समझने में परेशानी नहीं होगी।

जैसा कि आप जानते हैं, संस्कृत में तीन वचन (एकवचन, द्विवचन तथा बहुवचन) होते हैं। वैसे ही, पुरुष भी तीन प्रकार के होते हैं। यहाँ पुरुष का अर्थ पुँल्लिङ्ग से नहीं है।

(1) प्रथम पुरुष (:, तौ, ते, सा, ते, ता, तत्, ते, तानि, तेन, तया, तौ)

(2) मध्यम पुरुष (त्वम्, युवाम्, यूयम्)

(3) उत्तम पुरुष (अहम्, आवाम्; वयम्)

इनका प्रयोग धातुरुप एवं क्रिया पदों के साथ होता है।

सर्वनाम

वे शब्द जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, सर्वनाम कहलाते हैं।

राम: भोजन खादति।

: भोजनं खादति।

यहाँ राम: के स्थान पर प्रयुक्त शब्द ': (वह)' सर्वनाम है।

अब हम कुछ सर्वनाम शब्दों से आपका परिचय करवाएंगे।

अस्मद

(1)अस्मद

() अहम् (मैं)

'अहम्' शब्द अस्मद के प्रथमा विभक्ति, एकवचन, उत्तम पुरुष का रुप है। इसका अर्थ है, मैं।

अहं पठामि।

मैं पढ़ता हूँ।

अहं गच्छामि

मैं जाता हूँ।

अहं वदामि।

मैं बोलता हूँ।

अहं नमामि।

मैं नमस्कार करता हूँ।

() वयम् (हम सब)

'वयम्' शब्द अस्मद शब्द रुप के प्रथमा विभक्ति, बहुवचन, उत्तम पुरुष का रुप है। इसका अर्थ है, हम सब।

वयं पठाम:

हम सब पढ़ते हैं।

वयं गच्छाम:

हम सब जाते हैं।

वयं वदाम:

हम सब बोलते हैं।

वयं नमाम:

हम सब नमस्कार करते हैं।

() माम् (मुझको/मेरे को)

'माम्' शब्द अस्मद शब्द रुप के द्वितीया विभक्ति, एकवचन, उत्तम पुरुष का रुप है। इसका अर्थ है, मुझको/मेरे को।

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