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Question 1:

नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता की क्या दशा हुई?

Answer:

नगर से बाहर निकलकर दो पग अर्थात थोड़ी दूर चलने के बाद सीता जी के माथे पर पसीने की बूंदें झलकने लगीं। उनके कोमल ओठ सूख गए। वे शीघ्र ही थक गईं थी। 

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Question 2:

'अब और कितनी दूर चलना है, पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा'–किसने किससे पूछा और क्यों?

Answer:

'अब और कितना दूर चलना है, पर्नकुटी कहाँ बनाइएगा' ये शब्द सीता जी ने श्रीराम से पूछे क्योंकि वे बहुत अधिक थक गई थीं।

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Question 3:

राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की?

Answer:

राम ने जब देखा कि सीता थक चुकी हैं, तो वह देर तक बैठकर पैरों से काँटे निकालने लगे, जिससे सीता को कुछ देर आराम करने का मौका मिल जाए और उनकी थकान कम हो जाए।

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Question 4:

दोनों सवैयों के प्रसंगों में अंतर स्पष्ट करो।

Answer:

पहले सवैये में वन जाते समय सीता जी की व्याकुलता एवं थकान का वर्णन किया गया है। वे अपने गंतव्य तथा विश्राम के बारे में जानना चाहती हैं। सीता जी की ऐसी दयनीय अवस्था देखकर रामचंद्र जी भी दुखी हो जाते हैं। जब सीता जी नगर से बाहर कदम रखती हैं तो कुछ दूर जाने के बाद काफ़ी थक जाती हैं। उन्हें पसीना आने लगता है और होंठ सूखने लगते हैं। वे व्याकुलता से श्रीराम से पूछती हैं कि अभी और कितना चलना है तथा पर्णकुटी कहाँ बनाना है? इस तरह सीता जी की व्याकुलता को देखकर श्रीराम की आँखों में आँसू आ जाते हैं। दूसरे सवैये में श्रीराम और सीता की दशा का मार्मिक चित्रण किया गया है। इस प्रसंग में श्रीराम व सीता जी के प्रेम को दर्शाते हुए कहा गया है कि कैसे श्रीराम सीता के थक जाने पर पैरों के काँटे निकालते हैं और सीता जी श्रीराम का अपने प्रति प्रेम देखकर पुलकित हो जाती हैं।

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Question 5:

पाठ के आधार पर वन के मार्ग का वर्णन अपने शब्दों में करो।

Answer:

वन का मार्ग अत्यंत कठिन था। यह मार्ग काँटों से भरा था। उस पर बहुत सँभलकर चलना पड़ रहा था। रहने के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं था। रास्ते में कोई सुख-सुविधा उपलब्ध नहीं था। पानी मिलना भी कठिन था। चारों तरफ सुनसान तथा असुरक्षा का वातावरण था। हिंसक पशुओं का खतरा था।

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Question 1:

• गरमी के दिनों में कच्ची सड़क की तपती धूल में नंगे पाँव चलने पर पाँव जलते हैं। ऐसी स्थिति में पेड़ की छाया में खड़ा होने और पाँव धो लेने पर बड़ी राहत मिलती है। ठीक वैसे ही जैसे प्यास लगने पर पानी मिल जाए और भूख लगने पर भोजन। तुम्हें भी किसी वस्तु की आवश्यकता हुई होगी और वह कुछ समय बाद पूरी हो गई होगी। तुम सोचकर लिखो कि आवश्यकता पूरी होने के पहले तक तुम्हारे मन की दशा कैसी थी?

Answer:

किसी वस्तु की आवश्यकता पूरी होने से पहले मन उसके लिए व्याकुल रहता है। हम बार-बार उस वस्तु के विषय में सोचते रहते हैं। उसे पाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं।

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Question 1:

लखि देखकर   धरि रखकर
पोंछि  पोंछकर    जानि जानकर 
 
• ऊपर लिखे शब्दों और उनके अर्थों को ध्यान से देखो। हिंदी में जिस उद्देश्य के लिए हम क्रिया में 'कर' जोड़ते हैं, उसी के लिए अवधी में क्रिया में  ि (इ) को जोड़ा जाता है, जैसे–अवधी में बैठ +  ि = बैठि और हिंदी में बैठ + कर = बैठकर। तुम्हारी भाषा या बोली में क्या होता है? अपनी भाषा के ऐसे छह शब्द लिखो। उन्हें ध्यान से देखो और कक्षा में बताओ।

Answer:

छात्र अपनी-अपनी भाषाओं में शब्दों को स्वयं लिखें।

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Question 2:

“मिट्टी का गहरा अंधकार, डूबा है उसमें एक बीज।"
उसमें एक बीज डूबा है। 
• जब हम किसी बात को कविता में कहते हैं तो वाक्य के शब्दों के क्रम में बदलाव आता है,   जैसे–“छाँह  घरीक हैव ठाढ़े" को गद्य में ऐसे लिखा जा सकता है "छाया में एक घड़ी खड़ा होकर"। उदाहरण के आधार पर नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को गद्य के शब्दक्रम में लिखो।
– पुर तें निकसी रघुबीर–बधू,
– पुट सूखि गए मधुराधर वै।।
– बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े।
– पर्नकुटी करिहौं कित है्व?

Answer:

कविता में आए कुछ पंक्तियों के आशय इस प्रकार हैं – 
 

  • पुर तें निकसी रघुबीर–बधू, – रघुवीर की वधू अर्थात सीता जी नगर से बाहर वन जाने के लिए निकलीं।
  •  पुट सूखि गए मधुराधर वै।। – मधुर होठ सूख गए।
  • बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े। – कुछ समय तक श्रीराम ने आराम कर अपने पैरों से देर तक काँटे निकालते रहे।
  • पर्नकुटी करिहौं कित है्व? – पत्तों की कुटिया अर्थात पर्णकुटी कहाँ बनाएँगे ?



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