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Question 1:
यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है। लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों?
Answer:
यशोधर बाबू ने जो सीखा वह किशनबाबू से सीखा है। उन पर उनका खासा प्रभाव है। वह किशनबाबू की हर बात को सही मानते हैं। उनके लिए किशनबाबू उनके आदर्श हैं। यशोधर बाबू किशनबाबू के साथ स्वयं को सहज मानते हैं। अपने आसपास जो बदलाव हो रहे हैं उनके प्रति उनका स्वभाव बहुत ही संकीर्ण हो जाता है। किशनबाबू की जीवन शैली को वह उचित मानते हैं और उसमें किसी तरह के बदलाव को आने नहीं देते हैं। यशोधर बाबू यह नहीं समझते हैं कि किशनबाबू एकाकी जीवन व्यतीत करते थे। अतः उनकी जो जीवन शैली थी, उसमें कभी कोई बाधक नहीं हो सकता था। आसपास होने वाले बदलावों का उन पर कभी प्रभाव नहीं पड़ा। किशनबाबू के साथ ऐसा नहीं था। उनका अपना भरा-पूरा परिवार था। उनके बच्चे आसपास हो रहे बदलाव का सबसे बड़ा प्रतीक हैं। उन्हें बदलने की आवश्यकता थी मगर किशनबाबू के संस्कारों को ग्रहण करने के कारण वह स्वयं को असहज महसूस करते हैं। इसके विपरीत यशोधर बाबू की पत्नी के जीवन में किसी भी व्यक्ति का प्रभाव नहीं था। उनका अपना व्यक्तित्व और अपनी सोच थी। अतः अपने आस-पास हो रहे बदलावों को वह समझ पाती है और समय के साथ तेज़ी से ढल सकने में सफल हो जाती है।
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Question 2:
पाठ में 'जो हुआ होगा' वाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते/सकती हैं?
Answer:
'जो हुआ होगा' एक भाव है, उस बात को समाप्त करने का जिसमें आपका मन नहीं लगता है। जो हुआ होगा के मेरे अनुसार अर्थ छवियाँ हो सकती हैं-
(क) जो बीत गया, वह लौटकर नहीं आता।
(ख) मनुष्य का आत्मसम्मान समाप्त हो जाता है।
(ग) मनुष्य जीवन में निराशा का भाव इन पंक्तियों के भाव से दिखाई देता है।
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Question 3:
'समहाउ इंप्रापर' वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम की तरह करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है?
Answer:
इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से बहुत गहरा संबंध है। यह उनके मन में चल रहे द्वंद्व की स्थिति को दर्शाता है। वह हमेशा अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं। इस वाक्य के माध्यम से वह अपने आसपास हो रहे बदलावों को अपनाए या न अपनाए की स्थिति का पता चलता है। मनुष्य को चाहिए कि वह हो रहे बदलावों के साथ स्वयं का तालमेल बिठाए। लेकिन यशोधर बाबू जैसे लोग हो रहे बदलावों को अपनाना चाहते भी हैं और उनके प्रति नकारात्मकता का भाव भी रखते हैं। यह स्थिति उनके इस कथन से स्पष्ट हो जाती है। अतः इस कथन को वह आरंभ से लेकर अंत तक कई बार बोलते हैं। इस तरह कहानी दो पीढ़ियों के मध्य हो रहे ठकरावों को भी दर्शाती है और उनके मध्य गहरी होती खाई को भी स्पष्ट करती है।
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Question 4:
यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा देने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?
Answer:
जिस प्रकार यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। ऐसे ही मेरे जीवन को दिशा देने में मेरी दादी का हाथ रहा है। मैं यह तय नहीं कर पा रहा था कि मैं दसवीं के बाद किस विषय पर आगे पढ़ाई करूँ। माता-पिता मुझे मेडिकल के लिए तैयार करना चाहते थे और मैं मेडिकल के लिए स्वयं को उचित नहीं पाता हूँ। तब मुझे दादी ने समझाया कि माता-पिता को झूठी उम्मीद देने से अच्छा है, उन्हें वो उम्मीद दो जो तुम कर सकते हो। उनकी यह बात मेरे दिल को छू गई। मैंने अपने माता-पिता को बताया कि मैं आगे चलकर सी.ए. के लिए तैयारी करना चाहता हूँ। मेरी बात से वे बहुत प्रसन्न हुए और तैयार हो गए। आगे चलकर मैंने दादी को अपना आदर्श बनाया। उनके विचारों तथा जीवन शैली को समझने का प्रयास किया और जो मुझे अच्छा लगता चला गया, उसे अपना लिया। आज में खुश हूँ मैंने जो निर्णय लिया था, वह बिलकुल सही था।
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Question 5:
वर्तमान समय में परिवार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहीं तक सामंजस्य बिठा पाते हैं?
Answer:
वर्तमान समय में परिवार की संरचना इससे भी छोटी हो गई है। अब घर में एक या दो बच्चे से अधिक बच्चे देखने को नहीं मिलते हैं। लेकिन परिवार के स्वरूप से जुड़े अनुभव इस कहानी से बहुत मेल खाते हैं। मेरे दादाजी ऐसे ही हैं। वह अपने समय में जीते हैं। उनकी अपनी जीवन शैली है, जो आज की जीवन शैली से मेल नहीं खाती है। वह हमेशा भूतकाल से जुड़े रहते हैं। उनकी कहानी यशोधर बाबू से बिलकुल मेल खाती है। ऐसा लगता ही नहीं है कि यह कहानी अलग है। लगता है मेरे घर की ही कहानी है।
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Question 6:
निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे/कहेंगी और क्यों?
(क) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य
(ख) पीढ़ी का अंतराल
(ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
Answer:
(ख) पीढ़ी का अंतराल को हम कहानी की मूल संवेदना कहेंगे। यहाँ पर दो पीढ़ी के मध्य अंतराल को तथा उनके मध्य सोच के अंतर को दिखाया गया है। यशोधर बाबू एक पीढ़ी का नेतृत्व करते हैं और उनके बच्चे दूसरी पीढ़ी का। हर पीढ़ी की अपनी सोच तथा अपना जीने का एक ढ़ंग है। वे जिस प्रकार सोचते हैं, दूसरे के लिए वह स्थिति तकलीफ देय होती है। दोनों ही अपने स्थान से हटना नहीं चाहते हैं और न ही कोई दूसरा रास्ता निकालने को तैयार हैं। यशोधर बाबू की माँ उन लोगों का नेतृत्व करती है, जो बदलाव के साथ तुरंत स्वयं को बदलकर स्थिति के साथ जोड़ बना लेते हैं। ऐसे लोग नई तथा पुरानी दोनों पीढ़ियों में अपनी सुरक्षित जगह बनाकर आराम से जीते हैं और दोनों को साथ ले लेते हैं।
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Question 7:
अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रहे उन बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुज़ुर्गों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?
Answer:
ये बदलाव इस प्रकार हैं-
(क) बच्चों का खेलने के स्थान पर विडियो गेम या कंप्यूटर गेम में लगे रहना।– बुज़ुर्गों को यह अच्छा नहीं लगता है। आज के बच्चे खेलने के स्थान पर विडियो गेम या कंप्यूटर गेम में लगे रहते हैं। उनके अनुसार यह स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं है। इससे बच्चे उल्टा ही सीखते हैं। यह उनका शारीरिक तथा मानसिक विकास बाधित करता है।
(ख) बाहर का खाना घर में मंगाकर खाना तथा जंगफूड का प्रचलन- बुज़ुर्गों का मानना है कि बाहर खाना सही नहीं होता है। इससे सेहत पर असर पड़ता है। पिज़्ज़ा, बर्गर, पास्ता इत्यादि व्यंजन से उन्हें सख्त नफ़रत है। चाहे वे फिर घर बैठे ही क्यों न आया हो।
(ग) मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग- बुज़ुर्गों का मानना है कि माँ-पिता द्वारा बच्चों को मोबाइल फोन देना उचित नहीं है। बच्चे अन्य कामों को छोड़कर इसी में लगे रहते हैं। इस तरह उनकी सोच विकास नहीं कर पाती है। यह स्वास्थ्य की दृष्ट से भी हानिकारक होता है।
(घ) माइक्रोवेव का प्रयोग- बुज़ुर्गों का मानना है कि परंपरागत तरीके से खाना पकाना चाहिए या गर्म करना चाहिए। इस प्रकार से माइक्रोवेव का प्रयोग करना उचित नहीं है। पता नहीं यह सेहत के लिए अच्छा है भी या नहीं।
(ड़) विद्यालय के मैदान के स्थान पर स्कूल की इमारत- हमारे विद्यालय में मैदान के स्थान पर इमारत बन रही है। मेरे दादाजी इससे नाराज़ है। उन्हें लगता है कि इससे बच्चों के खेलने का स्थान समाप्त हो जाएगा। यह उनके विकास के लिए सही नहीं है।
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Question 8:
यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में हैं, अपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए-
(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं है।
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है।
(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व है और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों का अपनाना ही उचित है।
Answer:
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है।
मेरे अपने छोटे भाई के साथ यही अनुभव है। मेरा छोटा भाई मुझसे सात साल छोटा है। उसकी और मेरी सोच में अभी से यह अंतर देखने को मिलता है। मैंने जहाँ आठवीं कक्षा में कंप्यूटर सीखना आरंभ किया था, वह आठ साल में लैपटॉप पर काम कर रहा है। वह मुझसे ज़्यादा आधुनिक चीज़ों के विषय में जानकारी रखता है। आज वह ग्यारह साल का है। उसकी बातें मेरी बातों से अधिक रोचक होती हैं। मैं उसके साथ बातें करना चाहता हूँ लेकिन मेरा बड़ापन मुझे उसकी ओर जाने नहीं देता है। अतः मैं यशोधर बाबू की स्थिति को समझ सकता हूँ।
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